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केंद्रीय मंत्री श्री Arjun Munda ने पूर्वी क्षेत्र कृषि मेले का झारखंड में किया शुभारंभ

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व जनजातीय कार्य मंत्री श्री Arjun Munda ने खूंटी, झारखंड में पूर्वी क्षेत्र कृषि मेले का शुभारंभ किया। इस मौके पर श्री मुंडा ने कहा कि यह मेला देश के पूर्वी क्षेत्र के किसानों के लिए काफी लाभदायक होगा, जिसकी सार्थकता खेतों में नजर आएगी। केंद्र सरकार की कोशिश है कि हर राज्य खेती में आत्मनिर्भर बने और हमारे किसानों की आय बढ़े। किसानों को गर्व से यह कहने का मौका मिले कि हम किसी के मोहताज नहीं हैं, बल्कि हम मजबूत हैं और हमारे माध्यम से हमारा देश भी सशक्त है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान, रांची के तत्वावधान में कृषि विज्ञान केंद्र, तोरपा, खूंटी में आयोजित इस मेले में पूर्वी राज्यों के हजारों किसान शामिल हुए हैं। यहां मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में किसानों को परंपरागत खेती के साथ तकनीक से कैसे जोड़ा जाए, उनकी आय बढ़ाते हुए उन्हें आत्मनिर्भर कैसे बनाएं, कृषि संबंधी विभिन्न मुद्दों का समाधान कैसे हो, इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इस वृहद मेले का आयोजन किया गया है...

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने IIM मुंबई के पहले दीक्षांत समारोह में भाग लिया

केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) मुंबई के पहले दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस कार्यक्रम में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक और सीईओ श्री आशीष कुमार चौहान; IIM मुंबई के निदेशक प्रो. मनोज के. तिवारी; IIM मुंबई के निदेशक मंडल के अध्यक्ष श्री शशि किरण शेट्टी के साथ ही कई शिक्षाविद्, प्रोफेसर, अन्य गणमान्य व्यक्ति और छात्र भी उपस्थित थे। श्री प्रधान ने IIM मुंबई के नए लोगो और संस्थान के छात्रावास का भी डिजिटल तरीके से अनावरण किया।

दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में श्री प्रधान ने छात्रों को डिग्री प्राप्त करने पर बधाई दी। उन्होंने एनआईटीआईई को IIM में परिवर्तित करके मुंबई की एक बिजनेस स्कूल की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने की पहल करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संस्थान का यह नाम बदलना प्रतीकात्मक से कहीं अधिक है क्योंकि यह परिवर्तन का उत्प्रेरक है जो बेहतरीन मानव संसाधन पैदा करेगा।

श्री प्रधान ने वहां मौजूद सभी लोगों को यह याद दिलाया कि कैसे प्रधानमंत्री ने 'जेनजेड' को अमृत पीढी नाम दिया है। उन्होंने कहा कि यह पीढ़ी सामाजिक-आर्थिक बदलाव की उत्प्रेरक है और अगले 25 वर्षों के लिए वैश्विक और सामाजिक मुद्दों पर समाधान प्रदाता बनने की इन पर जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा में गरीबों, वंचित समुदायों और महिलाओं की भागीदारी में रिकॉर्ड सुधार देखा गया है, जो ज्ञान-संचालित समाज का संकेतक है।

श्री प्रधान ने इस बात पर भी जोर दिया कि युवाओं को नौकरी की चाह रखने वाला बनकर संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि नौकरी प्रदाता बनने का प्रयास करना चाहिए, जैसा कि राष्ट्र शिक्षा नीति 2020 में कल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि यह उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करने और नए यूनिकॉर्न कंपनी बनाने का सही समय है।

उन्होंने सभी से उन विचारों को आगे ले जाने के लिए एक परितंत्र विकसित करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया जो भविष्य की यूनिकॉर्न कंपनी में बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस संस्थान को देश के शीर्ष बिजनेस स्कूल के रूप में उभरने की दिशा में काम करना चाहिए। श्री प्रधान ने यह आशा भी व्यक्त की कि यह संस्थान उत्कृष्टता का वैश्विक केंद्र और चरित्र निर्माण तथा राष्ट्र निर्माण का संस्थान बन जाएगा।

छात्रों को विशेष रूप से संबोधित करते हुए श्री प्रधान ने उनसे वैश्विक समुदाय के प्रति 'कर्तव्य बोध' (कर्तव्य की भावना) का एहसास करने और इस लक्ष्य को साकार करने के लिए एकजुट प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बनने के लिए संस्थान को विकसित भारत के निर्माण में अपनी जिम्मेदारी और अपनी भूमिका निभानी होगी।

IIM मुंबई के निदेशक मंडल के अध्यक्ष श्री शशि किरण शेट्टी ने अपने संबोधन में कहा कि IIM मुंबई अनुसंधान और उद्योग जगत से संपर्क साधने के काम में तेजी लाएगा। प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी ने एनआईटीआईई का नाम बदलकर IIM मुंबई करने में भूमिका के लिए प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री, विशेष समिति के अध्यक्ष श्री आशीष कुमार चौहान और बीओजी IIM मुंबई के अध्यक्ष को धन्यवाद दिया। उन्होंने संस्थान का रिपोर्ट कार्ड भी साझा किया।

इस कार्यक्रम में कुल 1013 छात्रों ने डिग्री प्राप्त की। इनमें 32 फेलो छात्र, पीजीडीआईई, पीजीडीआईएम, पीजीडीएमएम, पीजीडीपीएम और पीजीडीएसएम जैसे सभी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के 955 स्नातकोत्तर छात्र और 26 वीएलएफएम छात्र शामिल हैं।

1963 में स्थापित भारतीय प्रबंधन संस्थान मुंबई (IIM मुंबई) शैक्षिक उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जिसने देश के शैक्षिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ जुड़ने की प्रतिबद्धता के साथ, IIM मुंबई को लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में क्षमता निर्माण के लिए नोडल केंद्र के रूप में नामित किया गया है, जो शिक्षा मंत्रालय द्वारा पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। IIM मुंबई तीन एमबीए पाठ्यक्रम, उद्योग की जरूरतों को पूरा करने वाले एक्जीक्यूटिव कार्यक्रमों के साथ ही वैश्विक और राष्ट्रीय प्रमाणन पाठ्यक्रम चलाता है।

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